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पहले के समय मे एक बच्चा पैदा होता था तो पिता कहते थे कि हमारे बुढ़ापे का लाठी है,लेकिन समय इतना तेज करवट लिया कि पिता खुद लड़के के लाठी बन गए है,इसका कारण है बेरोजगारी। बेरोजगारी के वजह से नवयुवक वर्ग के लोग मारे-मारे फिर रहे है तो इस बुरे समय मे पिता ही एक जीवन की डोर बांधे है।जिनके सहारे उस लड़के की जिंदगी भी कट जाती है,इसलिए अब कहना पड़ता है कि पिताजी आप हमारे जवानी के लाठी है। जहा तक माता-पिता का हमारे जिन्दगी मे अहमियत की बात है तो इसको एक लड़के से अच्छा कौन बता सकता है। माता-पिता का हमारे जिन्दगी मे कितना महत्व होता है,ये एक आदर्श पुत्र ही बता सकता है । पुराने समय के श्रवण कुमार से अच्छा तो फिलहाल कोई नही बता सकता ।लेकिन आज के बदलते परिवेश मे श्रवण कुमार तो बमुश्किल मिलेंगे। आज समय के हिसाब से पुत्र मे भी काफी बदलाव आया है,अब पहले वाली बात नही रह गयी। एक बच्चे के लिये माता-पिता का रहना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है,जितना महत्व एक पौधे को पालने मे माली करता है,उतना ही जिम्मेदारी एक लड़के को पालने मे करनी पड़ती है। वह माली जो पौधे को लकड़ी का सहारा देकर ,पानी ,खाद आदि से सिंचित करके उस पौधे को वृक्ष बनाता है।उसी प्रकार से माता-पिता भी नन्हे से बच्चे को कितने कष्ट को झेलते हुए उस बच्चे को युवक बनाते है। माता-पिता के अथक प्रयास के बदौलत ही एक बच्चा अपने सफलतम मार्ग पर चलते हुए एक बड़ा इंसान बनता है। इसीलिये माता-पिता को बच्चों की प्राथमिक विद्यालय कहते है।क्योकि हर बच्चा पैदा होते ही स्कूल नही जाता,तो उस समय घर पर पहली सीख माँ और पिताजी ही देते है। पिता से भी ज्यादा मेहनत माँ को करना पड़ता है,उसका कारण ये है कि माता अपने पुत्र के 24 घण्टे साथ मे रहती है,उसके हर दुःख, दर्द मे खड़ी रहती है। हमारे जीवन मे पिता का भी महत्व कम नही होता क्योकि एक पिता अपने बच्चों को हमेशा ऊंचा उठते ही देखना चाहता है,और इस चक्कर मे वह अपनी इच्छा का भी बलिदान कर देता है। सबकुछ गवाँ कर भी बच्चे को ऊपर उठता देखना चाहता है।पिता को आप बांस की सीढ़ी भी कह सकते है जो अपना बलिदान करके भी दूसरो को ऊपर ले जाने के लिये हमेशा तैयार रहता है,इस प्रकार से पिता का सहयोग अतुल्य होता है। – माता-पिता का सहयोग अपने लड़को के ऊपर हमेशा होता है।गरीब से गरीब पिता अपने बच्चों को हमेशा खुशी देने की कोशिश करता है।उसको अपने से बढ़िया भोजन करवाना,अपने से अच्छा कपड़ा पहनाना,ये हर माता-पिता की इच्छा होती है।अगर किसी पिता के पास 4 लड़के हो तो वह आसानी से पालन-पोषण कर सकता है लेकिन 4 लड़के एक माँ-बाप को नही पाल सकते। ।लेकिन क्या हर बच्चा अपने माता-पिता की इच्छा पूरा कर पाता है।इस सवाल का जबाब सब लोग नही दे सकते है।इस समय के हिसाब से जितने भी पुत्र होते है सब माता-पिता के आज्ञाकारक नही होते । लेकिन मुश्किल से ही कोई पिता होगा जो बच्चों की इच्छा पूरी न कर सक। – उन पिता को सत-सत नमन जो अपने बच्चों का पालन-पोषण एवं शिक्षा देने मे लगे हुये है।। – सभी पिता को – सादर प्रणाम – – फादर्स डे पर विशेष – 19 जून 2016 ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक आईसीएआई भवन सी-1 सेक्टर-1 नोयडा 201301 ———————————————————————-
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