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विकास के पथ को रोकते आंदोलन

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हर देश अपने -अपने स्तर पर तेजी से विकास करना चाहता है अब चाहे देश हो,राज्य हो ,जिला हो या हो गांव,यहाँ तक कि हम अपना भी विकास करना चाहते है,सबकी इच्छा होती है विकास करना। अगर घर का मुखिया विकास के लिए प्रयत्नशील है लेकिन उसी परिवार का एक सदस्य कही गलत विचारधारा का है तो वह परिवार को बढ़ने नही देगा। इसी प्रकार से हमारे देश के विकास के पथ को अगर कोई रोकता है तो वो है आरक्षण आन्दोलन और हड़ताल। ये दोनो उस आवारा लड़के की तरह है जो अपने पिता को विकास के रास्ते पर चलने नही देते।उसी तरह हमारे देश के विकास के पहिए को पावर ब्रेक लगाने का काम करते है आन्दोलन । आन्दोलन से देश को कितना नुकसान उठाना पड़ता है इस बात को न तो आरक्षण आन्दोलन वाले समझते है न ही हड़ताल वाले। आये दिन छोटी-छोटी बातो को लेकर हड़ताल वाले काम रोककर बैठ जाते है,काम रुकने से देश की कितनी आर्थिक क्षति होती है इसके तरफ किसी का ध्यान नही जाता। देश की सबसे जरूरी सेवा है स्वास्थ्य ,इसमे भी हड़ताल ने अपना पैर जमा रखा है। जब कि ये सेवा मानवहित की सेवा है इसको तो बिल्कुल ही हड़ताल के दायरे मे नही रखना चाहिये लेकिन फिर भी हड़ताल होती है,इलाज के अभाव मे जनता मरती रहती है । मरीज रोग के कारण तड़पते रहते है लेकिन कोई भी डॉक्टर देखने की जहमत नही उठाता। ऐसा नही है कि हड़ताल केवल डॉक्टरों की ही होती है ,हड़ताल पर और भी विभाग के लोग जाते है इनसे भी समस्या होती है। चाहे वह परिवहन विभाग हो या बिजली विभाग हो, समस्या हर विभाग के हड़ताल से होता है। इसी प्रकार से आरक्षण आन्दोलन की आग लोग रह-रह कर लगाते रहते है अब के समय मे आरक्षण माँगना भी एक फैशन बनता जा रहा है जिसको देखो आरक्षण का झंडा उठाकर चल देता है फिर ये नही देखता है कि कितना आम जनता का कितना नुकसान होता है।आरक्षण को बनाया गया था उन लोगो के लिये जो निर्बल तबके के है,लेकिन आज के समय मे कोई भी वर्ग या धर्म का हो ,चाहे कितना संम्पन्न क्यो न हो उसको आरक्षण चाहिये।आरक्षण आंदोलन से कितना नुकसान होता है ये किसको पता है।आरक्षण आन्दोलन के वजह से आर्थिक क्षति तो होती ही है,मानसिक क्षति भी होती है। आंदोलनकारियों द्वारा सरकारी संम्पति को भारी पैमाने पर नुकसान नुकसान पहुँचाया जाता है।जगह-जगह बसों मे आग लगाना,ट्रेन को रोकना,पटरियों को उखड़ना,ट्रेनों को रद्द किया जाना,दुकानों मे आग,औरतो का अपमान करना आदि न जाने कितनी घटनाये होती है।जिससे भारत का राजस्व का नुकसान तो होता ही है,कितने जानमाल का भी नुकसान होता है,लेकिन दुख इस बात का रहता है कि आंदोलनकारियों को इस बात का परवाह नही होता। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक आईसीएआई भवन सी-1 सेक्टर-1 नोयडा 201301

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