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भारतीय संसद भवन हो या राज्यो की विधान सभा , इसके अंदर किसकी इच्छा नही होगी कि वो संसद एवं विधान सभा के अन्दर बैठे और देशहित मे कार्य करे। लेकिन समस्या तब खड़ी होती है जब एक ही परिवार का एक छत्र राज्य हो जाता है और उसके परिवार मे जो बच्चा पैदा होता है वह भी मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री पैदा होता है,भले वो क्यो न पाचवी पास हो। अगर देश के अन्दर एक ही परिवार का बर्चश्व रहेगा तो ये हमारे समाज के लिये सही नही है, इस पर भी रोक लगनी चाहिए। इस तरह से एक ही परिवार का दायरा बढ़ता जायेगा। किसी भी प्रदेश मे या देश मे एक ही परिवार का झंडा नही लहराना चाहिए ,इससे नुकसान भी बहुत होता है। एक परिवार के सत्ता से सत्ताधारी पक्ष आर्थिक रूप से काफी सम्पन्न हो जाता है,और उसकी धाक जनता मे काफी जम जाती है जिसका जनता पर गलत असर पड़ता है । प्रशासन चलाने के लिये कोई जरूरी नही होता कि एक ही परिवार का शासक हो तभी देश चलेगा।इसमे सभी को मौका मिलना चाहिए क्योकि इससे प्रतिभाओ का हनन होता है। हमारे देश मे बहुत अच्छे नेता हो सकते है लेकिन परिवारवाद के चक्की मे पिस कर रह जाते है,उनको उभरने का मौका नही मिलता। ये नही होना चाहिये की मंत्री का बेटा भी मंत्री बने,चाहे उसको बोलने की तहजीब न हो । हमारे देश मे परिवारवाद की जड़ काफी मजबूत हो रही है ,और धीरे-धीरे ये जड़े एक बटबृक्ष के पेड़ की तरह बनता जा रहा है।वह वटबृक्ष जिसके नीचे छाया बहुत होती है लेकिन उसके नीचे कोई दूसरा पेड़ नही पैदा हो पाता। जो पैदा भी होना चाहे वह पनप नही पाता। इसलिए समाज के अम कि सभी पेड़ो को समाज मे जीने का हक होना चाहिए। इसी तरह एक परिवार अगर नेता बन गया तो पूरा खानदान समझो की मंत्री बन गया। हमारे देश मे ऐसे परिवारो कि संख्या मे काफी इजाफा होता जा रहा है। सभी लोग अपने लड़को,बहू,साले मामा आदि न जाने कितने लोगो को राजनीति के चक्र मे लपेटते जा रहे है। – हमारे देश मे इस समय परिवार को बढ़ाने की बाढ़ सी आ गयी है।सभी लोग अपना-अपना कुनबा बढ़ाने मे लगे है। कोई भी नेता नही चाहता कि मेरा बेटा या बहू इस भागती जिन्दगी मे पीछे रह जाये। वाजिब बात है जितने लोग परिवार के राजनीति मे रहेंगे,उतना ही पारिवारिक आय मे बृद्धि होगी।इसलिए इस देश मे पैसे की कमी नही है,जितना मिलकर लूट सकते हो लूट लो। ———————————————————————-नीरज कुमार पाठक आई सी ए आई भवन सी- 1 सेक्टर-1 नोयडा 201301 ——————————————————————–
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