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खतरा हमेशा अंदर से होता है।

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एक समय अटल विहारी वाजपेयी ने इंदिरा गाँधी से कहा था कि मैडम,खतरा हमेशा अंदर से होता है ।लेकिन उस समय इंदिरा गांधी को ये बात कुछ हजम नही हुई। हजम होती भी कैसे देश का जो प्रधानमंत्री हो उसको अंदर से डरने की आवश्यकता ही क्या । लेकिन यही पर इंदिरा गांधी ने बहुत बड़ी भूल की थी। अगर वाजपेयी जी की बात को इंदिरा जी गम्भीरता से लेती तो शायद जो उनके साथ उस समय घटना घटी ,न घटती।लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था,समय बीता । कुछ दिन के बाद ही इंदिरा जी का 31 अक्टूबर 1984 को गोली मार दी गयी। जिसमे इंदिरा जी की मृत्यु हो गयी । इंदिरा जी की मृत्यु के कुछ दिन के बाद अटल जी कही पर भाषण दे रहे थे तो उन्होंने कहा कि मैं मैडम से बोला था -कि मैडम खतरा हमेशा अंदर से होता है,तब बात नही मानी।आखिर मे खतरा कहाँ हुआ– भारत के अन्दर।भारत के अन्दर कहाँ पर– भारत की राजधानी दिल्ली मे। दिल्ली मे कहा–प्रधानमंत्री आवास मे । प्रधानमंत्री आवास के अन्दर ।प्रधानमंत्री आवास के अन्दर मारा कौन,उनके नीजि सुरक्षा कर्मियो ने । तो कहने का मतलब ये है की अगर खतरा जब भी होगा तो अंदर से ही होगा।—————————- ————————–इसी प्रकार से हमारे देश मे भी इस समय भी हालात अस्सी के दशक वाले ही है,खतरा अन्दर से ही हो रहा है।भारत की धरती पर खड़े होकर भारत के खिलाफ साज़िश रचा जाता है ।भारत के टुकड़े किये जाते है,भारत देश मे रह कर ,भारत का अन्न खाने के बाद जब पेट भर गया तो भारत के टुकड़े करो । ये आदमी की क्या घटिया सोच है। जिस इंसान को इतना नही पता कि किसके टुकड़े करने चाहिये ,वो देश की क्या रक्षा करेगा। क्या आदमी इतने निचले स्तर तक गिर सकता है,कि उसके मुँह से निकल जाये कि भारत तेरे टुकड़े होंगे। ये देशद्रोही यही नही रुकते ,इससे भी आगे बढ़ जाते है ।ये भारत के टुकड़े करने के बाद आजादी की मांग करते है,इस समय इनको कौन सी आजादी चाहिए। आजादी की मांग 1947 के पहले मांगना चाहिये था ,इस समय कौन सी आजादी इन लोगो को चाहिये। –इस देश मे सबसे बड़ी आजादी तो यही है कि इसी धरती पर खड़े होकर आजादी की मांग कर रहे है।भारत के टुकड़े की बात कर रहे है। जम्मू -कश्मीर जो भारत का अभिन्न अंग है उसके अंदर के हालात ये है कि वहाँ पर झंडा फहराना भी दूभर हो गया है ये क्या बिडम्बना है,हमारे देश की। हम अपने ही देश के एक राज्य मे झंडा तक फहरा नही सकते।झंडा फहराने पर पुलिस ही डंडा मारती है। उस तिरंगे को फहरा नही सकते जो हमारे देश की शान है। मैं उस तिरंगे की बात कर रहा हूँ जिसके शान के लिए हमारे जाबांज सैनिक अंतिम साँस तक झुकने नही देते है।हमारे सैनिक जिसको अपनी जान से बढ़कर मानते उस झंडे को हम फहरा नही सकते । इसका मतलब साफ है की हमको खतरा इसी देश के कुछ लोगो से है ,जिनको भारत प्रिय नही है।लेकिन अगर भारत से उनको नफरत है तो क्यो नही वे दूसरे देशो मे चले जाते। घुट-घुट कर रहने से अच्छा है कि देश को छोड़ कर चले जाये और ऐश की जिंदगी जिये।

—————————————————————————————-नीरज कुमार पाठक ——————– आई.सी.ए.आई भवन सी-1 सेक्टर–1 नोएडा 201301

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