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शहीदों का अपमान

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हमारे देश मे शहीदों का अपमान करना एक फ़ैशन सा बनता जा रहा है। अब वो चाहे कोई मुँह से बोल कर करे या किताबो मे लिख कर या फिर किसी कालेज मे किताबो को पढ़ा कर ।अपमान तो अपमान होता है चाहे तरीका कोई भी हो।क्या हमारा संस्कार इतना नीचे गिरता जा रहा है कि हम अपने देशभक्तो को भी नही छोड़ रहे है ,जो इस देश के लिये निःस्वार्थ भाव से काम किये।उनके त्याग और बलिदान को हम इतना जल्दी भूल गये। आखिर हमारे देश के देशभक्तो की क्या गलती थी जो उन्हें आतंकवादी कहा जा रहा है।क्या देश को स्वतंत्र कराना उनकी गलती थी ,काश!अगर ये भारत माता के लाल आज होते तो वे इस देश के बारे मे क्या सोचते। यही सोचते कि जिसके लिए मैं इतना संघर्ष किया ,वे ही लोग मुझे आतंकवादी समझ रहे है । मुझे समझ मे नही आता कि ये लोग किस मिट्टी के बने है की इनको अपने देशभक्तो के बारे मे ऐसा कहने व लिखने मे शर्म भी नही आता । इन देशद्रोहियो को अपने घर के पूर्वजो को भी कहने मे भी कोई शर्म नही आयेगी,क्यो की जब ये हमारे महान विभूतियो के बारे मे लिख सकते है तो वे कुछ भी कह और लिख सकते है। —————————ऐसा ही एक वाक्या इन दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी मे चल रहा है जिसमे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है कि सरदार भगतसिंह एक क्रांतिकारी आतंकवादी थे। सबसे शर्म की बात ये है कि हमारे देश की राजधानी की यूनिवर्सिटी के अंदर बच्चों को पढ़ाई जा रही है।मशहूर इतिहासकार विपिन चंद्र और मृदुला मुख़र्जी ने ” भारत का संघर्ष ” नामक पुस्तक मे ये बाते लिखी। लिखना तो दूर की बात है ये किताबे पढ़ाई भी जा रही है।इस पुस्तक के लेखकद्वय बच्चों को क्या समझाने की कोशिश कर रहे है ,कि जो अपने वतन के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगा दे वह आतंकवादी हो गया , अगर ये आतंकवादी है तो आतंकवादी को क्या कहेगे? उत्तर-( देशभक्त )नही ,फिलहाल आतंकी को कोई भी देशभक्त तो नही कहना चाहेगा। लेकिन हमारे देश एक वर्ग है जो आतंकबादी को भी शहीद बताने मे भी पीछे नही है।इन वर्ग मे क्या भारत के प्रति प्रेम नही होता या फिर पाक के नापाक प्रेम के लिए पागल रहते है। ये लोग भारत मे रहकर भारत विरोधी नारे लगाने मे परहेज नही करते।———————- — भारत भी कितना भोला देश है ,यहाँ पर इतनी छूट है की भारत माता की गोद मे बैठकर लोग भारत माता को ही गाली देते है फिर भी माता सुनती रहती है।यही पर लोग खायेगे,यही पर रहेगे ,यही पर जीवन यापन करेगे, फिर भारत के टुकड़े करेगे। जब कि एक राजा ने अपने नन्हे से बालक को सिर्फ इसलिये मार दिया था कि वह राजा की गोद मे बैठकर ,राजा की दाढ़ी नोच दिया था। राजा को लगा की ये नन्हा सा बालक जब अभी से दाढ़ी उखाड़ सकता है तो ये आगे क्या करेगा।लेकिन इस लोकतंत्र देश मे सबको आजादी मिली हुई है।अब इससे बड़ी आजादी क्या चाहिए की भारत की धरती पर खड़े होकर आजादी मांग रहे है।। ———————————————————————————-नीरज कुमार पाठक ———————- आई.सी.ए.आई भवन सी-1 सेक्टर -1नोयडा

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